What Is a Recession? Global Recession: क्या होती है आर्थिक मंदी? क्या है इसका इतिहास; भारत पर कितना है इसका खतरा
Understanding Recessions क्या होती है मंदी ?
जब भी किसी देश के सकल घरेलु उत्पाद ( GDP ) में लगातार 6 महीनों तक अर्थात लगातार 2 तिमाही तक गिरावट आती है , तो इसे अर्थशास्त्र में आर्थिक मंदी कहा जाता है ! वही अगर 2 तिमाही तक लगातार किसी देश की GDP में 10 प्रतिशत तक गिरावट आती है तो इसे डिप्रेशन कहा जाता है , जो की भयावह होता है !
लगभग सभी देशों को अपने जीवनचक्र में मंदी की दौर से गुजरना पड़ता है , क्योंक यह असंभव है की कोई भी देश की अर्थव्यवस्था लगातार विकास की और अग्रसर होती रहे ! हमारे देश भारत में RBI ऐसी अथौरिटी है जो की मंदी की व्याख्या करती है , RBI के मुताबिक जब किसी अर्थव्यवस्था में लगातार उत्पादन में कमी होती जा रही हो तो यह मंदी का संकेत है !
Technical recession –
यानिकी जब भी किसी देश की आर्थिक गतिविधि में महीनों , तिमाही , या सालों तक लगातार गिरावट होती रहती है , इस अवस्था को मंदी का समय या Recession कहते है ! जब भी किसी देश की सकल घरेलु उत्पाद ( gross domestic product ) यानि की जीडीपी ( GDP ) नकारात्मक वृद्धि दिखने लगती है , बेरोजगारी बढ़ने लगती है , फुटकर बिक्री घटने लगती है , लोगों की आय बढ़ने के बजाय घटने लगती है और मॉल उत्पादन की क्षमता में लगातार गिरावट आने लगती है , तो माना जाता है की वो देश मंडी की दौर से गुजर रहा है , यदि सरल शब्दों में कहें तो यदि किसी देश की जीडीपी लगातार 2 तिमाही तक niche जाती है तो उसे technical recession कहा जाता है !
Recession and economic slowdown ? मंदी और इकॉनमिक स्लोडाउन में क्या है फर्क?
जब भी किसी देश की सकल घरेलु उत्पाद यानिकी GDP में गिरावट आती है , तो, इसे आर्थिक मंदी कहा जाता है जबकि देश की GDP की ग्रोथ में गिरावट को इकोनोमिक स्लोडाउन कहा जाता है ! इन दोनों को समझने के लिए उदाहरण स्वरुप मन लीजिये की राम एक प्राइवेट company में काम करता है , और उसकी सैलरी में पिछले माह की तुलना में लगातार तीन महीनों से वेतन में कटौती कर लिया जाता है , तो यह मंदी का संकेत है और यदि राम की सैलरी में अनुमानित वृद्धि के बजाय बहुत कम वेतन वृद्धि होती है तो इसे इकोनोमिक स्लो डाउन कहा जाता है !
Economic RECESSION REASONS –
What Causes Recessions? मंदी के क्या कारण होते हैं –
- आर्थिक मंदी का प्रमुख कारन है की धन की प्रवाह यानिकी मुद्रा का लेनदेन बहुत कम हो जाना , धन की प्रवाह से आशय है की लोगों की खरीदने की क्षमता का घट जाना है , इसके साथ ही लोग बचत भी बहुत कम कर पाते हैं !
- अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में बढौत्तरी हो जाना , जिससे मंहगाई बढ़ जाती है और लोग अपनी जरूरतों की सामान नही खरीद पाते हैं !
- रुस – युक्रेन की युद्ध की वजह से भी विश्व में मंदी के संकेत मिल रहे है ! जिसका असर भारत में भी देखने को मिल रहा है !
- डॉलर के मुकाबले रुपया की घटती हुई value भी मंडी की वजह होती है !
- मंदी के समय निवेश बहुत कम हो जाती है , क्यूंकि लोगों की आय बहुत कम होती है !
- आयात के मुकाबले निर्यात में गिरावट होने से देश की राजकोशीय घाटा बढ़ जाती है , और विदेशी मुद्रा भंडार में कमी देखने को मिल जाती है !
Who says recession has come? कौन बताता है मंदी आ गई ?
दोस्तों लगभग सभी देशों में मंदी या अर्थव्यवस्था में कितना दवाव है , या हो सकती है , इसके मायने अलग अलग हो सकते है , साथ ही इसकी प्रक्रिया भी अलग अलग हो सकती है ! दुनिया की सबसे बड़ी इकॉनमी अमेरिका की बात करें तो यंहा national ब्यूरो of इकोनॉमिक्स research ( NBER ) नाम से अर्थशाश्त्रियों का एक समूह है , nber के इस समूह में 8 सदस्य हैं , जो की ये फैसला करते हैं की आर्थिक गतिविधियों में कितनी गिरावट आई है , और क्या इसे मंदी कहना ठीक होगा ! इस कमी का पैमाना ही यह तय करता है की मंदी आ गई है , या मंदी आने वाली है !
How do you know a recession is coming?
कैसे पता चलता है मंदी आने वाली है?-
मंदी ( what is a recession ) आने वाली है ये तो सबने सुनी है परन्तु , हमें इसकी जानकारी कैसे होगी , मंदी आने वाली है इसका पता कैसे चलेगा ? तो दोस्तों इस सवाल का जवाब भी उन्ही बैटन में छुपा है जो की अक्सर ही हम सुनते हैं , जैसेकि अभी कुछ ही समय पहले हमारे देश की एक नामी it company ने अपने कर्मचारियों की छटनी करने की घोषणा की थी , उससे भी पहले अमेरिकन company फेसबुक ने लगभग 12000 कर्मचारियों की छुट्टी कर दि थी ! दोस्तों आज के समय में आए दिन ये खबर आती रहती है की फलाना company छटनी करने वाली है ! बहुत से startup भी छटनी करने की पूर्व सुचना दे चुके हैं ! मतलब कुछ तो गड़बड़ी है , भारत सहित अमेरिका के आलावा अन्य देशों में भी यही हाल देखने को मिला है !
मंदी का सबसे बड़ा सबसे बड़ा संकेत –
दोस्तों मंदी आने के सबसे बड़ी संकेत या है की जब लोगों की नौकरी जाने लगे , अर्थात कंपनियां अपने कर्मचारियों को काम से निकालने लगे और यही घटना लगातार 2 तिमाही तक होती रहे , तो यह मंदी का सबसे बड़ा संकेत माना जाता है !
निवेश में कमी आना भी है संकेत –
दोस्तों आस्ट्रेलिया के केन्द्रीय बैंक ने भी मंदी के दो संकेत बताए है , जिनमे से एक यह है की जैसेही किसी देश में मंदी आने वाली होती है वंहा पर लोगों के द्वारा घरेलु खर्च में कमी आए और उद्दोगों द्वारा निवेश की कटौती किया जाने लगे , इसका सीधा सा मतलब है की मंदी आने वाली है !
क्या हैं मंदी के दुष्प्रभाव-
आर्थिक मंदी से बेरोजगारी में वृद्धि हो जाती है !
लोगों के पास खर्च करने को पैसा ही नही बचता है !
आर्थिक विकास दर लगातार गिरती रहती है !
बचत और निवेश में कमी आ जाती है !
कर्ज की मांग घट जाती है !
FAQ
आर्थिक मंदी के प्रमुख कारण क्या थे?
ANS – आर्थिक मंदी का प्रमुख कारन है की धन का प्रवाह रुक जाना , साथ ही हमने विस्तार से समझाया है जरुर पढ़ें !
आर्थिक मंदी का क्या अर्थ है?
ANS – आर्थिक मंदी का अर्थ है की जब भी किसी देश या क्षेत्र विशेष में बाजार प्रगति के बजाय नीचे गिरना , जिसे ऊपर विस्तार से समझाया गया है !
दोस्तों हम आप लोगों के लिए SHARE MARKET , TECHNICLE ANALYSIS , MUTUAL FUND ,स्वयं की ग्रोथ एवं अपना व्यापार कैसे बड़ा करना है, सब जानकारी के लिए जो मूल मंत्र अति आवश्यक होते हैं वह लाते रहते हैं कृपया हमारी लेख को लाइक एवं कमेंट करना ना भूलें औरदोस्तों को भी शेयर करें जिससे आपकी वैल्यू बढ़े , शेयर अवश्य करें धन्यवाद
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